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14 May 2020
पतझड़

पतझड़

पतझड़ मैंने पिछले पतझड़, सूखे बागीचे में, पीले पत्तों के बीच, सूखी हवाओं में लहलहाता, एक गुलाबी पीपल का पेड़ देखा, बोगनविलिया की एक बेल ने...

क़यामत

क़यामत

क़यामत मुझे कहीं दूर हटा दो, हर आेर तुम ईंट लगा दो, या इटालियन मार्बल बिछा दो, फिर रंगीन ग्रानीइट सजा दो, याद रखना, बस एक क़यामत की दूरी...

23 Dec 2018
7 Dec 2018
6 Dec 2018
20 May 2018
21 Feb 2018
15 Feb 2018
हलवा

हलवा

दिसंबर का दिन था, आंखे खुलने से मना करती थी, खुलकर करती भी क्या? सर्द कोहरे में इनका काम कम था। फिर भी इनसे लड़कर बाजार से बेहतरिन लाल गा...

21 Dec 2017
11 Dec 2017
परिंदे

परिंदे

परिंदे ख्वाब देखता आया हु तफुलियत से, परिंदो जैसी उड़ान भरने के। आज जब हवा में पर फड़फड़ा रहे है, याद आता है ज़मीं पर चलना।  

11 Nov 2017
घड़ी

घड़ी

घड़ी घड़ी पर नज़र लगाए रहते है, तो लगता है कि समय रुक गया है, टिक टिक करती सेकंड की सुई बढ़ रही है, पर बाकी कांटो पर कोई असर ही नही दिखता! घ...