15 Feb 2018
हलवा

हलवा

दिसंबर का दिन था, आंखे खुलने से मना करती थी, खुलकर करती भी क्या? सर्द कोहरे में इनका काम कम था। फिर भी इनसे लड़कर बाजार से बेहतरिन लाल गा...