पतझड़
पतझड़
मैंने पिछले पतझड़,
सूखे बागीचे में,
पीले पत्तों के बीच,
सूखी हवाओं में लहलहाता,
एक गुलाबी पीपल का पेड़ देखा,
बोगनविलिया की एक बेल
ने उसे अपना घर बनाया था,
खूबसूरत नजारा था,
दोनो साथ अच्छे लग रहे थे,
गुलाबी फूलो व पीले पत्तो से,
पतझड़ की निरसता भी रंगीन लग रही थी,
आज फिर उसे बगीचे से गुज़रा,
आज फिर वो पीपल का पेड़ देखा,
पर ना उसपर पत्ते थे,
ना ही गुलाबी फूल,
बस कुछ सुखी शाखाये थी,
और पतझड़ की उदासी।
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