ना इधर के,
ना उधर के,
बस अधर में लटक रहे है।
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ना लोन वेवर,
ना बैंकरप्सी डिक्लेरेशन,
बस ईएमआई भर रहे है।
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महँगाई की मार में,
सामाजिक कतार में,
बस उम्मीदों से लड़ रहे है।
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हाल पूछ लीजिये कभी भी,
हंस कर कह देंगे,
बस चल रहे है।
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In picture: Crowded Streets of Varanasi.
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